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Saturday, October 23, 2010

लघु कथा

एक प्यारी सी खुबसुरत लड.की थी। वह बचपन से ही अंधी थी। उसे हमेशा दूसरों पर निर्भर रहना पड.ता था। हर काम में उसे दूसरों की सहायता लेनी पड.ती थी। एक लड.का था जो हमेशा उसकी मदद किया करता था तथा उसकी हर जरूरत के वक्त उसके साथ खड.ा रहता था। वो लड.की हमेशा उससे कहती थी कि अगर उसकी ऑंखें होती तो वह उससे शादी कर लेती। एक दिन की बात है कि किसी ने उस अंधी लड.की अपनी ऑंखें दान कर दी। उस लड.की को ऑपरेशन के द्वारा वो ऑंखें लगा दी गई। कुछ दिनों के बाद जब वो ठीक होकर अस्पताल से घर आई तो उस लड.के से मिली जो हमेशा उसकी मदद किया करता था। उसने देखा कि वो लड.का अंधा था। उस लड.के ने उस लड.की से पूछा- क्या अब वो उससे शादी करेगी। लड.की ने जवाब दिया - नही! मैं एक अंधे लड.के से कैसे शादी कर सकती हुं। मेरी तो पुरी जिन्दगी खराब हो जाएगी। वो लड.का मुस्कुराया और उसने लड.की को  एक कागज टुकड.ा दिया और हमेशा के लिए उसकी जिन्दगी से चला गया। उस कागज पर लिखा था `मेरी ऑंखों का ख्याल रखना´।

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