चित्र गुगल साभार
मेरी दुनिया में आकर मत जा
तेरे बिना मैं जी नही पाउगॉ।
तेरी जुदाई का एहसास रूलाती है मुझे
तुझसे बिछड़कर मैं तो मर जाउगॉ।
तेरे लिए शायद मैं कुछ भी नही
कैसे कहुॅ कि तुम मेरे लिए क्या हो।
मेरी इबादत भी तुम हो
और तुम ही मेरे खुदा हो।
चाहत नहीं मुझे तेरे जिस्म की
और ना ही कोई तमन्ना
कि मुझे गले से लगाओ।
बस इतनी सी ख्वाहिश है मेरी
अपनी नजरों से न हमें गिराओ।
बहुत बढ़िया सर!
ReplyDeleteबस इतनी सी ख्वाहिश है मेरी
ReplyDeleteअपनी नजरों से न हमें गिराओ।
क्या ख्वाहिश है आपकी, बहुत खूब
बहुत बढ़िया......!!
ReplyDeleteप्रेम की इन्तहा.
ReplyDeleteमेरी इबादत भी तुम हो
और तुम ही मेरे खुदा हो।
बहुत खूब.
बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबस इतनी सी ख्वाहिश है मेरी
ReplyDeleteअपनी नजरों से न हमें गिराओ।
bahut hi gahre jajbat ke sath sunder prastuti.......
बस इतनी सी ख्वाहिश है मेरी
ReplyDeleteअपनी नजरों से न हमें गिराओ।
प्रेम की इन्तहा.
चाहत नहीं मुझे तेरे जिस्म की
ReplyDeleteऔर ना ही कोई तमन्ना
कि मुझे गले से लगाओ।
बस इतनी सी ख्वाहिश है मेरी
अपनी नजरों से न हमें गिराओ।
प्रेममयी भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति
Ye prem ki interha hai ... unke saath hi jeevan ... nahi to mout ... lajawaab abhivyakti hai ..
ReplyDeleteबहुत अच्छे ढंग से प्रेम कि अभिव्यक्ति ...बहुत खूब अमित जी
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति ....शुभकामनायें !
ReplyDeleteबस इतनी सी ख्वाहिश है मेरी
ReplyDeleteअपनी नजरों से न हमें गिराओ।
बढ़िया प्रस्तुति प्रेममयी भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति
कुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
ReplyDeleteचाहत नहीं मुझे तेरे जिस्म की
ReplyDeleteऔर ना ही कोई तमन्ना
कि मुझे गले से लगाओ।
बस इतनी सी ख्वाहिश है मेरी
अपनी नजरों से न हमें गिराओ।
....सच्चे प्रेम का बहुत सुन्दर चित्रण...कोमल अहसासों से परिपूर्ण बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..
"बस इतनी सी ख्वाहिश है मेरी
ReplyDeleteअपनी नजरों से न हमें गिराओ।"
वाह जी वाह...........
आपने बहुत सुंदर शब्दों में मन के भावों को अभिव्यक्त किया है ..!
अन्तर्मन की भावनाओं को अभिव्यक्त करती उम्दा रचना...
जहां चाहत जिस्म से ऊपर उठ जाए ...
ReplyDeleteउस चाहत में रब्ब बसता है .....
आमीन......
'चाहत नहीं मुझे तेरे जिस्म की
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बस इतनी सी ख्वाहिश है मेरी
अपनी नज़रों से न हमें गिराओ '
वाह अमित जी ........बहुत सुन्दर भाव ........सच्चा प्रेम तो यही है
बेहतरीन ख्वाहिश ..उम्दा ख्याल ..
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