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Saturday, August 6, 2011

सच और झुठ


चित्र गुगल साभार



बहुत अजीब लगता है
जब लोग
जिदंगी की बात करते है।
जबकि
हर गुजरता लम्हा
हमें मौत के करीब
ले जाता है।
आखिर लोग
सच से इतना
दुर क्यों भागते है।
या फिर
सच सुनने की
हमें आदत ही नही है।
क्यों हम ख्वाब को
हकीकत समझ
उसपर विश्वास करते है।
हम क्यों
उसके ही करीब
रहना चाहते है जो
एक न एक दिन
हमें छोड़कर चला जाएगा।
शायद इसलिए ही
लोग कहते है कि
सच बहुत ही
कड़वा होता है और
झुठ मीठा।

14 comments:

  1. सही कहा आपने, सच बहुत ही कड़वा होता है और झुठ मीठा.....

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  2. हम क्यों
    उसके ही करीब
    रहना चाहते है जो
    एक न एक दिन
    हमें छोड़कर चला जाएगा।

    इसे हम स्वीकार नहीं करना चाहते इस सोच से दुःख मिलता है भ्रम में जीना चाहते हैं ...अच्छी प्रस्तुति

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  3. सुन्दर रचना , सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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  4. शायद इसलिए ही
    लोग कहते है कि
    सच बहुत ही
    कड़वा होता है और
    झूठ मीठा।

    सच और झूठ का सही परिचय।
    ...................
    दुर-दूर
    झुठ-झूठ

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  5. सच झूठ
    http://mypoemsmyemotions.blogspot.com/2011/06/blog-post.html

    हर किसी का
    कहीं एक छुपा सच होता हैं
    जो बस एक झूठ था

    जो जीया तो जाता हैं
    पर जीवन नहीं दे पाता हैं

    ना जाने क्यूँ दूसरे
    तलाशते रहते हैं
    दूसरो के इस सच को

    किसी का जिन्दगी का सच
    शायद टिका होता हैं
    किसी के जिंदगी के झूठ पर


    i liked your poem though i came here as the the title of your poem was same as of my poem

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  6. बहुत सच्ची अभिवयक्ति....

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  7. bilkul sahi kaha aapne....bhaut hi acchi rachna...

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  8. सही सच कोई नहीं सुनना चाहता यहाँ तक हम अपना सच भी नहीं सुनना चाहते......खूबसूरत रचना|

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  9. परम सत्य और परम सत्ता का ज्ञान कराती पवित्र रचना

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  10. बहुत सुंदर कविता और उसके भाव..

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  11. बेहतरीन भावों की बेहतरीन अभिव्यक्ति.....

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  12. सच्ची अभिवयक्ति...

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  13. शायद इसलिए ही
    लोग कहते है कि
    सच बहुत ही
    कड़वा होता है और
    झुठ मीठा।

    ...शाश्वत सत्य की बहुत गहन और भावपूर्ण अभिव्यक्ति..

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